Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -29-Aug-2022



ये खेल है
इस खेल का भी एक ढंग है।
खेल को जो खेल समझे
वो अजब है।

खेल ही तो था
जो मोहन ने दिखाया
पूतना और कालिया 
ने स्वर्ग पाया।

खेल ही तो था
जब द्रोपदी रोई
पांच पतियों की वीरता ने
लाज खोई
खेल में ही कृष्ण आ पहुंचे
सभा मे
दुष्ट दुर्योधन को 
मर्यादा सिखाने

आओ हम भी खेल
कुछ ऐसे दिखाएं
नारी को सशक्त बनाएं
बच्चों को खुशहाल बनाएं।


प्रतियोगिता 29.8.२०२२
अंशुमान द्विवेदी
मौलिक रचना


   13
10 Comments

Renu

31-Aug-2022 01:54 PM

👍👍

Reply

Anshumandwivedi426

30-Aug-2022 09:39 PM

सभी श्रेष्ठ जनों को सादर धन्यवाद

Reply

Punam verma

30-Aug-2022 08:40 PM

Very nice

Reply